हाइलाइट्स
प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा पर ऑक्सीजन की मौजूदगी का पता लगा लिया है.
अब वह हाइड्रोजन की उपस्थिति की तलाश करने में जुट गया है.
दोनों के होने की पुष्टि के बाद पानी मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भेजा गया प्रज्ञान रोवर अपने उपकरणों से वहां की नई जानकारी निकाल रहा है. दुनिया भर के वैज्ञानिकों की निगाहें इसरो के इस रोवर पर टिकी हुई हैं. अभी तक प्रज्ञान ने चांद पर सल्फर और ऑक्सीजन सहित कुल 9 रासायनिक तत्वों के होने के संकेत दिए हैं. इसरो का कहना है कि इसके बाद अब प्रज्ञान रोवर के उपकरण चंद्रमा पर हाइड्रोजन की उपस्थिति की पड़ताल कर रहे हैं. लेकिन आखिर प्रज्ञान रोवर चंद्रमा पर हाइड्रोजन की खोज कर क्यों रहा है. इसके कई कारण हैं, क्योंकि हाइड्रोजन का मिलना वहां पर भविष्य के अन्वेषण, अवलोकन और अनुसंधानों की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है.
क्या खोजा है प्रज्ञान ने अब तक
इसरो का कहना है कि प्रज्ञान रोवर के लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पैक्ट्रस्कोप ने चंद्रमा के ध्रुव पर सिलिकॉन और ऑक्सीजन के अलावा एल्यूमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैगनीज और सिलिकॉन की उपस्थिति का पता लगाया है. अब हाइड्रोजन की तलाश की जा रही है. हाइड्रोजन की उपस्थिति को लेकर वैज्ञानिक बहुत आशान्वित हैं.
हाइड्रोजन की खोज क्यों?
लेकिन सवाल यही पैदा होता है कि आखिर चंद्रमा की सतह पर हाइड्रोजन क्यों खोजी जा रही है. दरअसल इसके पीछे साल 2008 में भारत के ही चंद्रयान-1 द्वारा की गई एक खोज है. जिसमें पता चला था कि वहां दक्षिणी ध्रुव पर पानी बर्फ के रूप में मौजूद है. यही वजह है कि चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव दुनिया की तमाम स्पेस एजेंसियों का पसंदीदा इलाका बन गया है.
तो क्या संभावना है हाइड्रोजन मिलने की
दरअसल केवल चंद्रयान-1 से ही नहीं अन्य स्रोतों से भी पता चला है कि चंद्रमा पर हाइड्रोजन ना केवल मौजूद है बल्कि प्रचुर मात्रा में है. बस देखने वाली बात यह है कि हाइड्रोजन चंद्रमा पर किस रूप में और दक्षिणी ध्रुव पर कितनी मात्रा में मिल पाता है. जबकि इसरो के उपकरण ने इसी इलाके में काफी मात्रा में पानी की मौजूदगी का पता लगाया था.
प्रज्ञान रोवर के उपकरण अगले सात दिन और चंद्रमा का सतह का अध्ययन करेंगे. (तस्वीर: ISRO)
अभी केवल प्राथमिक पड़ताल
एक सवाल यह भी उठता है कि जब ऑक्सीजन सहित 9 तत्व प्रज्ञान के उपकरण को मिल गए हैं तो फिर हाइड्रोजन की खोज में समय क्यों लग रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि अभी प्रज्ञान ने केवल एक सीमित क्षेत्र में प्राथमिक पड़ताल की है. हो सकता है कि हाइड्रोजन विस्तृत अध्ययन में प्रचुर मात्रा में मिल जाए.
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भावी शोधों की दिशा तय होगी
हाइड्रोजन की उपस्थिति पानी की पड़ताल की दिशा में एक प्रमुख पड़ाव होगा. वहीं यह भी जरूरी नहीं है कि चंद्रमा पर बर्फ प्रचुर मात्रा में हो. हो सकता है कि ऑक्सीजन और हाइड्रोजन अलग-अलग यौगिकों में मौजूद हों और पानी की कम मात्रा हो. ऐसे में इससे चंद्रमा के अभियानों के लिए हो रहे शोधकार्यों की दिशा बदल सकती है. इसलिए इस अभियान की पड़तालों पर नासा की भी पैनी निगाह है.
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ही चंद्रयान-1 ने पानी की खोज की थी और वहीं अब रोवर हाइड्रोजन की खोज कर रहा है. (तस्वीर: NASA)
रासायनिक संरचनाओं की जानकारी
प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर अगले सात दिन और चंद्रमा की सतह पर प्रयोग कर अध्ययन अवलोकन करेंगे. रोवर ने अब तक कुल 8 मीटर का अध्ययन किया है. रोवर के उपकरणों का प्रमुख मकसद चंद्रमा की धूल और चट्टानों के टुकड़ों की रासायनिक संरचना की पड़ताल करना है. इससे चंद्रमा की सतह के नीचे और वायुमंडल की अहम जानकारी हासिल की जा सकेगी. जिसके आधार पर भविष्य में आगे पड़ताल होगी.
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चंद्रमा पर पानी का मिलना वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी राहत की बात होगी क्योंकि यह यहां के भावी मानव अभियानों के लिए बहुत अहम साबित हो सकता है. इसके अलावा अगर ऑक्सीजन और हाइड्रोजन अलग पदार्थों में मिलते हैं तो दोनों को निकालने के उपाय खोजे जाएंगे. क्योंकि ऑक्सीजन सांस लेने के लिए और हाइड्रोजन ईंधन के लिए, साथ ही दोनों पानी बनाने के लिए उपयोग में काम आएंगे.
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Tags: Earth, ISRO, Moon, Research, Science, Space
FIRST PUBLISHED : August 31, 2023, 10:24 IST