
देश के पहले मिशन सन आदित्य एल 1 के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पूरी तरह से तैयार है और इस मिशन के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है. इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने आदित्य-एल1 मिशन के प्रक्षेपण से पहले शुक्रवार को सुलुरुपेटा में श्री चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर गए और मिशन की सफलता के लिए पूजा-अर्चना की. मंदिर के अधिकारियों ने बताया कि सोमनाथ ने सुबह साढ़े सात बजे मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना की.
आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को सूर्य के परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है.
आदित्य-एल1 लॉन्च के बाद पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य की ओर जाएगा और लैग्रेंज बिंदु पर जाकर स्थापित हो जाएगा. इसके बाद वह 5 साल तक नजर रखेगा और कई तरह से उसका अध्ययन करने के बाद उसका डाटा पृथ्वी पर भेजेगा.
वैज्ञानिकों का कहना है कि आदित्य एल-1 अभियान भारत में तारा भौतिकी और सौर भौतिकी क्षेत्र को बहुत आगे ले जाएगा.
पृथ्वी पर हिम युग का क्या इतिहास रहा है आदित्य एल-1 इसकी जानकारी भी जुटाएगा. इस मिशन से सौर गतिविधियों को समझने में मदद मिलेगी और उसका पृथ्वी पर होने वाले असर का भी पता चलेगा. इसकी मदद से हिम युगों की क्या वजह रही और भविष्य में क्या संभावनाएं है इसका भी पता चल सकेगा.
11 सालों में सूर्य में कुछ बदलाव आते हैं. यह बदलाव उसकी चुंबकीय गतिविधियों में भी होते हैं, जिनको चक्र कहा जाता है. बताया जाता है कि कभी-कभी यह चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव आक्रमक भी होते हैं. इसकी वजह से सौर मंडल में शाक्तिशाली विस्फोट होता है. अब इस मिशन की मदद से भारत इन सारी पूर्व सूचनाओं का अध्ययन कर पाएगा.
सूर्य के बाहर एक कोरोना की सतह होती है और सौर मंडल की सभी दिशाओं से ऊर्जा के भारी उर्त्सन पृथ्वी के लिए खतरनाक हो सकता है. इतना ही नहीं इस उत्सर्जन से पृथ्वी की परिक्रम के लिए भेजे गए उपग्रहों को भी नुकसान हो सकता है. हमें पता होना चाहिए कि कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) कब हो रहा है और अब इस मिशन की मदद से हमें यह पता लग पाएगा.
इस मिशन की मदद से इसरो के वैज्ञानिक पहली बार सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के मौजूदा उपकरणों के बारे में जान पाएंगे. इतना ही नहीं आदित्य एल 1 की मदद से सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के प्रवाह पर निगरानी संभव हो सकेगी. इसके साथ ही सौर पवन का विश्लेषण हो सकेगा.
आदित्य-एल1 को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाएगा.
आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य ‘एल1’ के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है. इसमें विभिन्न तरंग बैंडों में सूर्य के प्रकाशमंडल, वर्णमंडल और सबसे बाहरी परत-परिमंडल का निरीक्षण करने के लिए सात उपकरण लगे होंगे.
इसरो प्रमुख ने बताया कि आदित्य मिशन का प्रक्षेपण शनिवार को दोपहर 11 बजकर 50 मिनट पर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस मिशन का उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी सूर्य वेधशाला मिशन के बाद आने वाले दिनों में एलवी-डी3 और पीएसएलवी सहित कई अन्य उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगी. चंद्रयान-3 मिशन के बारे में सोमनाथ ने कहा कि सभी चीजें ठीक हैं तथा काम जारी है.
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FIRST PUBLISHED : September 01, 2023, 13:56 IST