भारत-पाक‍िस्‍तान के मैच से पहले घर बैठे देखें सोलर म‍िशन की लॉन्‍च‍िंग, यहां होगी लाइव स्‍ट्रीम‍िंग – News18

शन‍िवार को एक ओर जहां ए‍श‍िया कप में भारत और पाक‍िस्‍तान की टीम क्रिकेट के मैदान में आमने-सामने होंगी. वहीं चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) देश का पहला सौर मिशन आदित्य-एल1 लॉन्च करने की तैयारी में है. आदित्य-एल1 स्‍पेस क्राफ्ट सौर कोरोना के दूरस्थ अवलोकन और एल1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज ब‍िंदु) पर सौर हवा के सीटू अवलोकन प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है. यह भारत की पहली सौर अंतरिक्ष वेधशाला है और इसे PSLV-C57 द्वारा लॉन्च किया जाएगा. यह सूर्य का विस्तृत अध्ययन करने के लिए सात अलग-अलग पेलोड ले जाएगा, जिनमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और अन्य तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे.

आदित्य-एल1 मिशन लॉन्च की तारीख और समय: भारत और पाक‍िस्‍तान का मैच द‍िन में तीन बजे से होगा. वहीं सौर मिशन 2 सितंबर को सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष बंदरगाह से उड़ान भरने के लिए निर्धारित है. 30 अगस्त को इसरो ने बताया क‍ि सूर्य का अध्ययन करने के लिए डिजाइन किए गए उसके आदित्य-एल1 मिशन ने लॉन्च रिहर्सल और आंतरिक जांच पूरी कर ली है.

इसरो के आदित्य-एल1 मिशन को लाइव कहां देखें: भारत और पाक‍िस्‍तान का मैच आप सभी लोग ड‍िजनी हॉटस्‍टार पर फ्री में लाइव देख सकते हैं. वहीं आदित्य L1 के लॉन्‍च का सीधा प्रसारण दूरदर्शन चैनल या इसरो के यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है. इसरो ने 1 सितंबर को आदित्य-एल1 मिशन के लाइव टेलीकास्ट का लिंक भी शेयर किया है. आदित्य L1 का लॉन्च शन‍िवार सुबह 11:50 बजे (IST) तय किया गया है.

आदित्य एल1 मिशन के प्रमुख उद्देश्य: आदित्य-एल1 को लैग्रेंज प्‍वाइंट 1 (या एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है. आद‍ित्‍य एल1 चार महीने के समय में यह दूरी तय कर सकता है.

म‍िशन मून के दौरान रणनीतिक स्थान से आदित्य-एल1 ग्रहण या क‍िसी अन्‍य घटना से बाधित हुए बिना लगातार सूर्य का निरीक्षण करने में सक्षम है, जिससे वैज्ञानिकों को वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन करने की अनुमति मिलेगी. साथ ही अंतरिक्ष यान का डेटा उन प्रक्रियाओं के अनुक्रम की पहचान करने में मदद करेगा जो सौर विस्फोट की घटनाओं को जन्म देती हैं और स्‍पेस वेदर ड्राइवर्स की गहरी समझ में योगदान देगी.

भारत के सौर मिशन के प्रमुख उद्देश्यों में सौर कोरोना और उसके ताप तंत्र की भौतिकी, सौर वायु त्वरण, सौर वायुमंडल की युग्मन और गतिशीलता, सौर वायु वितरण और तापमान अनिसोट्रॉपी और कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) की उत्पत्ति का अध्ययन के अलावा ज्वाला और निकट-पृथ्वी अंतरिक्ष मौसम शामिल है.

इससे पहले 31 अगस्त को इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने भी एक अपडेट साझा किया था, जिसमें कहा गया था कि हम अभी लॉन्च के लिए तैयार हो रहे हैं. रॉकेट और सैटेलाइट तैयार हैं. हमने लॉन्च के लिए रिहर्सल पूरी कर ली है. इसलिए कल हमें इसके लिए उल्टी गिनती शुरू करनी होगी और परसों प्रक्षेपण होगा.

चंद्रयान 3 मिशन के बारे में बोलते हुए इसरो प्रमुख ने कहा था क‍ि जहां रोवर प्रज्ञान वर्तमान में चंद्रमा की सतह पर घूम रहा है. इसरो प्रमुख ने कहा क‍ि सब कुछ ठीक काम कर रहा है और सभी डेटा बहुत अच्छी तरह से आ रहे हैं. सब कुछ बहुत अच्छे से काम कर रहा है और हमें उम्मीद है कि 14 (पृथ्वी) दिन के अंत तक हमारा मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो जाएगा.

‘लैग्रेंज बिंदु’ अंतरिक्ष में स्थित वे स्थान हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के उन्नत क्षेत्र उत्पन्न करते हैं. नासा के अनुसार, इनका उपयोग अंतरिक्ष यान द्वारा स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जा सकता है. लैग्रेंज बिंदु का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैग्रेंज के सम्मान में रखा गया है. अंतरिक्ष एजेंसी ने सोशल मीडिया पर किये गए एक पोस्ट में बताया कि सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा.

आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 के पास की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है. यह अंतरिक्ष यान सात पेलोड लेकर जाएगा, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अवलोकन करने में मदद करेंगे. बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) पेलोड के विकास के लिए अग्रणी संस्थान है, जबकि इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे ने सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) पेलोड इस मिशन के लिए विकसित किया है.

इसरो के अनुसार, वीईएलसी का लक्ष्य यह पता लगाने के लिए डेटा एकत्रित करना है कि कोरोना का तापमान लगभग दस लाख डिग्री तक कैसे पहुंच सकता है, जबकि सूर्य की सतह का तापमान 6000 डिग्री सेंटीग्रेड से थोड़ा अधिक रहता है. आदित्य-एल1 यूवी पेलोड का उपयोग करके कोरोना और सौर क्रोमोस्फीयर पर और एक्स-रे पेलोड का उपयोग करके लपटों का अवलोकन कर सकता है. कण संसूचक और मैग्नेटोमीटर पेलोड आवेशित कणों और एल1 के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा तक पहुंचने वाले चुंबकीय क्षेत्र के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं. यहां स्थित यू आर राव सैटेलाइट सेंटर द्वारा विकसित उपग्रह, इस महीने की शुरुआत में आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के इसरो के स्पेसपोर्ट पहुंचा. इसे सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के एल1 बिंदु के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है.

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FIRST PUBLISHED : September 01, 2023, 16:51 IST

Source : hindi.news18.com