3 दशक बाद जन्माष्टमी पर अद्भुत संयोग, शुभ फलदायी माना जा रहा जयंती योग, जानें कृष्ण जन्मोत्सव का महत्व – News18

हाइलाइट्स

कृष्ण जन्माष्टमी 6 सितंबर 2023 को मनाई जा रही है.
30 साल बाद कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा दुर्लभ संयोग.

Krishna Janmashtami 2023 : भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. उस वक्त रोहिणी नक्षत्र था. भगवान कृष्ण का जन्म रात के 12 बजे हुआ था, और इस बार छह सितंबर 2023 को भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी मनाई जाएगी. इस दिन बुधवार होगा. इस वर्ष जन्माष्टमी पर तीस सालों के बाद ग्रह नक्षत्रों का विशिष्ट संयोग भी बन रहा है.  हिन्दू पंचांग के अनुसार ग्रह नक्षत्रों की यह स्थिति भगवान कृष्ण की भक्ति और जन्म के लिए शुभ है, और भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करने वाली मानी जाती है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं, भगवान कृष्ण जन्माष्टमी पर बनने वाले अद्भुत संयोग के बारे में.

अष्टमी तिथि में रोहिणी नक्षत्र का संयोग

भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी 6 सितंबर बुधवार की रात 7:57 बजे पर अष्टमी तिथि लग जाएगी. इस दिन दोपहर में 02:40 बजे से रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ होगा. ऐसे में अर्द्धरात्रि में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग एक साथ मिलने के कारण “जयंती” नामक योग में सभी लोग कृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे.

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फल देने वाला होगा यह योग

हिन्दू पंचांग की गणना से देखें तो भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर बुधवार का दिन और मध्य रात्रि में ही रोहिणी नक्षत्र का अनुक्रम रहने से सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है. इस दिन चंद्रमा अपने उच्च अंश में वृषभ राशि में विराजमान रहेंगें और रोहिणी चंद्रमा की पत्नी है. ऐसे में यह योग पूजन में विशेष फल देने वाला है. इस दौरान सर्वार्थसिद्धि योग में विशिष्ट पूजन साधना की जा सकती है.

रात में रोहिणी युक्त अष्टमी

प्रत्येक तीन वर्षों के बाद ऐसी स्थिति निर्मित होती है. जब नक्षत्र और तिथी एक साथ पर्वकाल को साधते हैं. इस बार जो संयोग बन रहे हैं. उन में बुधवार का दिन विशेष तौर पर मान्य है. इस स्थिति का रोहिणी युक्त होना विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है. पंचांग के 5 अंकों में से 2 या 3 अंकों का होना पर्वकाल को सफल बना देता है. अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र इसी श्रेणी में आते हैं.

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कृष्ण जन्मोत्सव का महत्व

भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है. लड्डू गोपाल या किशन कन्हैया कहे जाने वाले भगवान कृष्ण सभी भक्तों के कष्ट दूर करते हैं. भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में नटखट लड्डू गोपाल का जन्म हुआ था. भगवान विष्णु के अवतार ने पृथ्वी पर कृष्ण के रूप में जन्म लिया. सदियों से ही भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव अष्टमी तिथि को मनाया जाता आ रहा है. इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं. मंदिरों में साफ सफाई और साज सज्जा करते हैं. लड्डू गोपाल के जन्म की ख़ुशी में कई तरह के मेवे और पकवान बनाए जाते हैं और धूमधाम से भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है.

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Source : hindi.news18.com