DUSU Election 2023: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में अध्‍यक्ष के अलावा और किन किन पदों पर होते हैं चुनाव? – News18

DUSU Election :  दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) छात्र संघ चुनाव का शोर शुरू हो चुका है. कैंपस के अंदर छात्र संगठनों की सक्रियता भी दिखने लगी है. बता दें कि दिल्ली विश्वविश्वविद्यालय में 3 साल बाद छात्रसंघ चुनाव हो रहे हैं. चुनाव को लेकर छात्रों के बीच खासा जोश है. एबीवीपी (ABVP), एनएसयूआई (NSUI) और आइसा (AISA) समेत तमाम छात्र संगठन अभी से चुनाव की तैयारी में लग चुके हैं. दिल्ली चुनाव में डूसू प्रेसिडेंट (DUSU President) की सबसे ज्यादा चर्चा होती है, लेकिन क्या आपको पता है कि दिल्ली प्रेसिडेंट के अलावा भी दिल्ली विश्वविद्यालय चुनाव में जो पोस्ट होते हैं वो भी काफी अहम होते हैं.

डीयू छात्रसंघ चुनाव में सेंट्रल पैनल के लिए मुख्य तौर पर चार पोस्ट के लिए उम्मीदवार चुने जाते हैं. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, संयुक्त सचिव और सचिव के चार पदों के लिए छात्र वोटिंग करते हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय की बात करें तो ये यहां लाखों स्टूडेंट वोटिंग प्रक्रिया में भाग लेते हैं. डूसू इलेक्शन के बारे में हम आपको कुछ बताएं उससे पहले ये जानना जरूरी है कि डूसू है क्या.

डूसू दिल्ली विश्व विद्यालय में छात्रों की सबसे बड़ी रिप्रजेंटेटिव बॉडी है.

सेंट्रल पैनल के लिए 4 पद होते हैं
डूसू दिल्ली विश्व विद्यालय में छात्रों की सबसे बड़ी रिप्रजेंटेटिव बॉडी है. दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत कई कॉलेज हैं और फैक्ल्टी भी हैं जो डूसू चुनाव में अहम रोल अदा करते हैं. इन सभी का डूसू प्रतिनिधित्व करता है. डूसू का चुनाव सीधे तौर पर होता है जिसमें डीयू के सभी कॉलेज के छात्र वोटिंग करते हैं. ये हर साल अगस्त-सितंबर में होता है. इसी तरह हर कॉलेज का अपना स्टूडेंट यूनियन होता है. वहां वोटिंग के जरिए कॉलेज के प्रेसिडेंट और बाकी उम्मीदवारों को चुना जाता है.

क्या कहते हैं छात्र नेता
डीयू के पूरे चुनावी प्रक्रिया की बात करें तो तकरीबन 2500 छात्र 500 पोस्ट के लिए चुनाव लडते हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव-2019 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने बाजी मारते हुए चार पदों में से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव समेत तीन पदों पर कब्जा जमाया था. नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया को बस एक सचिव पद से ही संतोष करना पड़ा था. साल 2019 में तकरीबन एक लाख से ज्यादा स्टूडेंट वोटिंग का हिस्सा बने थे. साल 2019 डूसू प्रेसिडेंट अक्षित दहिया इस पूरे चुनावी प्रक्रिया को मिनी लोकतंत्र की संज्ञा देते हैं.

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डीयू के पूरे चुनावी प्रक्रिया की बात करें तो तकरीबन 2500 छात्र 500 पोस्ट के लिए चुनाव लडते हैं.

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कुलमिलाकर दिल्ली विश्वविद्यालय का चुनाव राजनीतिक पार्टियों के लिए अपनी शक्ति दिखाने का भी एक मौका है. चुनाव में जिस भी पार्टी क छात्र विंग की जीत होती है वो इस बात का दंभ भरते हैं कि देश की युवा पीढ़ी हमारे साथ है. इसलिए डीयू इलेक्शन पर इस बार भी मीडिया की नजर होगी. डूसू के रिजल्ट के दिन जीतने वाले उम्मीदवारों को राष्ट्रीय चैनल पर जबरदस्त कवरेज दिया जाता है. क्योंकि, लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक है. ऐसे में इस बार के डूसू चुनाव के नतीजे काफी अहम साबित हो सकते हैं.

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Source : hindi.news18.com