सामान्य स्वरूप से कितनी अलग है खोजी गई नए प्रकार की ऑक्सीजन? – News18

हाइलाइट्स

वैज्ञानिकों के खोजे गए इस ऑक्सीजन में सबसे ज्यादा न्यूट्रॉन हैं.
यह सभी तरह के ऑक्सीजन में सबसे भारी प्रकार का ऑक्सीजन है.
नाभकीय क्षेत्र में यह बहुत उपयोगी किस्म का ऑक्सीजन साबित हो सकता है.

मूल रासायनिक तत्वों की जानकारी हमारे शिक्षकों ने हमें माध्यमिक शिक्षा के दौरान दी थी. इसी दौरान में जीवन के जरूरी तत्वों हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि से परिचित हुए थे. ऑक्सीजन का प्रचुर स्वरूप में 8 प्रोटोन, 8 न्यूट्रॉन और 8 इलेक्ट्रॉन होते है. आमतौर पर ऑक्सीजन का जिक्र होने का मतलब ही इसी स्वरूप की ऑक्सीजन होता है. पर ऑक्सीजन के अन्य प्रकार भी होते है जिन्हें आइसोटोप कहा जाता है. आइसोटोप अमूमन अलग अलग न्यूट्रॉन संख्याओं की वजह से अलग स्वरूप की तरह जाने जाते हैं. नए अध्ययन में जापानी वैज्ञानिकों ने ऑक्सजीन का एक अलग ही स्वरूप यानि आइसोटोप खोजा है जिसमें न्यूट्रॉन की संख्या 28 है.

अब तक का सबसे भारी ऑक्सीजन
जापान के टोक्यो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के नाभकीय भौतिकविद योसुके कोंडो की अगुआई में भौतिकों की टीम ने ऑक्सीजन के इस नए आइसोटोप ऑक्सीजन-28 की खोज की है. ऑक्सीजीन-28 में अब तक के खोजे गए ऑक्सीजन के सभी आइसोटोप में से सबसे ज्यादा संख्या में न्यूट्रॉन पाए गए हैं और यह ऑक्सीजन का सबसे भारी स्वरूप भी है.

भविष्य मे बहुत ही उपयोगी होगी खोज
ऑक्सीजन-28 की यह खोज बहुत ही उत्साहजनक और भावी नाभकीय प्रयोगों और सैद्धांतिक पड़तालों के लिए बहुत ही अधिक उपयोगी साबित हो सकती है. यह बहुतही दुर्लभ किस्म की ऑक्सीजन है जिसमें बहुत ही अधिक न्यूट्रॉन प्रोटॉन अनुपात होता है. यह शोधपत्र विस्तृत रूप से नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

न्यूट्रॉन की संक्या निर्णायक
टीम के शोधकर्ताओं ने बताया कि एक परमाणु में तीन उपपरमाणु कण होते है जिन्हे न्यूक्लियॉन कहते हैं और ये प्रोटोन और न्यूटॉन से मिल कर बने होते हैं. एक तत्व के परमाणु में प्रोटोन की संख्या ही तत्व की परमाणु संख्या कहलाती है. लेकिन एक तत्व के परमाणु में न्यूटॉन की संख्या में अंतर हो सकता है जससे अलग अलग आइसोटोप वाले तत्व बनते हैं यानि सभी ऑक्सीजन में 8 प्रोटोन ही होंगे, लेकिन न्यूट्रॉन की अलग संख्या अलग ऑक्सीजन के आइसोटोपन बनाती है.

एक तत्व के परमाणु के केंद्रक में न्यूट्रॉन की संख्या में बदलाव तत्व में कई तरह के विशेष गुणों वाला बना सकता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Shutterstock)

8 और 20 अंक महत्वपूर्ण
इससे पहले के खोजे गए सबसे भारी ऑक्सीजन में न्यूट्रॉन की संख्या 18 थी जिसे से ऑक्सीजन-26 आइसोटोप कहा जाता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि ऑक्सीजन 28 का केंद्रक नाभकीय विज्ञान के लिहाज से खास तौर पर दिलचस्प है क्योंकि प्रटोन की संख्या 8 और न्यूट्रॉन की संख्यटा 20 दोनों जादुई संख्या हैं क्योंकि यह संख्या किसी परमाणु को शेल प्रतिमान में रासायनिक संरचना के तौर पर स्थिर बना देती है.

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जादुई संख्या का महत्व
नाभकीय भौतिकी में जादुई संख्या न्यूक्लियॉन की खास संख्या होती है जिसका मतलब होता कि प्रोटोन न्यूट्रॉन के स्तर के ऊर्जा खोल, ऊर्जा के लिहाज से संपूर्ण हो गए हैं. हर खोल  के बीच में ऊर्जा का बड़ा अंतर होता है. जिन परमाणु केंद्रक में प्रोटोन और न्यूट्रॉन खोलों दोनों में जादुई संख्याएं हो तो उन्हें दोगुने जादुई संख्या वाला कहा जाता है और उसे खास तौर से स्थिर परमाणु कहते हैं.

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वैज्ञानिकों ने यह दुर्लभ ऑक्सीजन जापान की एक लैब में बनाई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

खोल और उनकी ऊर्जा का खेल
खोल में निश्चित प्रोटोन की संख्या की पूर्ति के बाद ही इलेक्ट्रोन अगले खोग में स्थान लेते हैं. 8 और 20 मतलब होता है कि शेल में प्रोटोन की संख्या अधिकतम पहुंच चुकी है. ऑक्सीन 28 में न्यूट्रॉन की संख्या एक तरह से खोलों में स्थिरता लाने के करीब होता है फिर भी ऑक्सीजन-28 एक असामान्य परमाणु होने के साथ ही स्थिर परमाणु नहीं है.

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परमाणु संसार के बारे में इस पर शोध बहुत सारी मूलभूत सवालों के जवाब भी दे संकेगे. यह खोज जापान की एक न्यूक्लियर फिजिक्स की राइकेन रेडियो आइसोटोप बीम फैक्ट्री में की गई है. इसमें पहले कैल्शियम-48 आइसोटोप का बैरीलियम पर निशाना साधा गया. जिससे फ्लोरीन-29 सहित हलके परमाणु पैदा हो सकें. इसके बाद फ्लोरीन -29 पर तरल हाइड्रोजन की बौछार की गई  जिससे एक प्रोटोन बाहर निकल गया और ऑक्सीजन-28 का निर्माण हो सका.

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Source : hindi.news18.com