
Increasing Temperature: हमेशा खुशगवार रहने वाला सितंबर इस साल लोगों को मई-जून की भीषण गर्मी की यादें ताजा करा रहा है. सितंबर के पहले चार दिन चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी ने हाल बेहाल कर दिया है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, साल 2022 के मुकाबले इस समय दिन का तापमान 9 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है. एक तरफ भीषण गर्मी, उमस और चटक धूप से लोग बेहाल हो रहे हैं तो दूसरी तरफ इससे फसलों को भी नुकसान हो रहा है. पहले जून और जुलाई में लोग जबरदस्त बारिश के कारण परेशान हुए तो अगस्त में बादलों ने मुंह ही मोड़ लिया और अब सितंबर में तपता सूरज लोगों को झुलसा रहा है.
बेमौसमी बारिश, बारिश के समय औसत से कम पानी गिरना और फिर खुशगवार के बजाय गर्मी मौसम के अलग ही रूप दिखा रहे हैं. आखिर ऐसा क्यों है कि इस बार अगस्त-सितंबर में जून और जुलाई जैसी गर्मी व उमस का अहसास हो रहा है. मानसूस की बेरुखी से किसान और व्यापारी दोनों ही चिंतित हो रहे हैं. चटक धूप और बादलों के गायब होने से फसल मुरझाने लगी है. अगर फसल खराब हुई तो कारोबार पर भी बुरा असर पड़ना तय है. आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के मुताबिक, सितंबर में ज्यादा बारिश होने पर भी जून-सितंबर सत्र में औसत बारिश इस मौसम की सामान्य वर्षा से कम रह सकती है.
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क्यों लगातार बढ़ रही है गर्मी?
आईएमडी के मुताबिक, 1901 के बाद इस साल का अगस्त सबसे गर्म और शुष्क रहा है. अब देश के कई हिस्सों में सितंबर के शुरुआती चार दिन में भी सामान्य से ऊपर तापमान दर्ज किया गया है. अगस्त में देश के कई हिस्सों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा था. वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम की ये अनिश्चितता जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रकोप का सीधा संकेत है. पहाड़ी राज्यों में भी इस समय तापमान सामान्य से 3 से लेकर 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया जा रहा है. सितंबर शुरू होने के बाद भी देश के कुछ हिस्सों में तापमान 38 से 40 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया है.
सितंबर शुरू होने के बाद भी देश के कुछ हिस्सों में तापमान 38 से 40 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया है.
अगस्त में क्यों कम हुई बारिश?
आईएमडी के महापात्र का कहना है कि इस साल अगस्त में बारिश कम होने का सबसे बड़ा कारण भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में अल नीनो की स्थिति का बनना है. अरब सागर और बंगाल की खाड़ी की समुद्री सतह के तापमान में अंतर अब पॉजिटिव होना शुरू हुआ है. ये अल नीनो के असर को पटल सकता है. वहीं, पूर्व की ओर बढ़ते बादलों की रफ्तार और उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में हो रही बारिश मानसून के फिर से दस्तक देने में मदद कर सकती है.
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क्या और बढ़ सकता है तापमान?
मौसम विभाग के मुताबिक, सितंबर में खास बारिश की उम्मीद नजर नहीं आ रही है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ऐसे ही धूप खिलती रही, उमस पड़ती रही और बादल आसमान से नदारद रहे तो सितंबर में अभी तापमान में और बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है. वहीं, कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश के पानी में मौजूद नाइट्रोजन अच्छी फसल के लिए बहुत अहमियत रखता है. पानी के दूसरे स्रोत फसलों की गुणवत्ता को बारिश के बराबर बरकरार नहीं रख पाते हैं. इसीलिए बाजरा, तिल, धान, कपास, मूंग, उड़द, अरहर के साथ सब्जियों की फसल पर भी बुरा असर पड़ा है.
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जलवायु परिवर्तन है बड़ा कारण
भारत में सितंबर में आखिर इतनी गर्मी क्यों पड़ रही है? वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है. कई रिपोर्ट्स में कहा जा चुका है कि हर साल औसत वैश्विक तापमान में करीब एक डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो रही है. डीडब्ल्यू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लगातार गर्मी का मौसम बढ़ने के कारण भारत दुनिया के सबसे गर्म देशों में शामिल हो रहा है. वर्ल्ड वेदर एट्रीब्यूशन ग्रुप का कहना है कि इंसानी गतिविधियों के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन से भारत में हीटवेव यानी लू की आशंका 30 गुना बढ़ गई है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण औसत वैश्विक तापमान में करीब एक डिग्री सेल्सियस सालाना बढ़ोतरी हो रही है.
कैसे थामें बढ़ता हुआ तापमान?
वैज्ञानिक लगातार कह रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए पूरी दुनिया को मिलकर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती करनी होगी. वैज्ञानिक तापमान में कमी लाने के लिए डीकार्बोनाइजेशन की जरूरत पर जोर दे रहे हैं. ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन को थामने की दिशा में सभी देशों को गंभीर कदम उठाने की जरूरत हैं. अगर जल्द सभी देशों ने तापमान को बढ़ने से रोकने के प्रयास तेज नहीं किए तो बढ़ती गर्मी के सबसे ज्यादा बच्चे और बुजुर्ग शिकार बनेंगे. कम आमदनी वाले वर्ग की दिक्कतें कई गुना बढ़ जाएंगी.
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FIRST PUBLISHED : September 04, 2023, 19:29 IST