Opinion: G-20 के सफल नेतृत्व से मोदी सरकार ने दुनिया के विकास को गति देने में भारत की क्षमता साबित की – News18

हाइलाइट्स

9 और 10 सितंबर को दिल्ली जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियां पूरी.
जी-20 की अध्यक्षता भारत को ऐसे समय मिली, जब दुनिया में अफरातफरी का दौर है.
इस समय संघर्षों के साथ-साथ आर्थिक अनिश्चितता का माहौल है.

नई दिल्ली. जी- 20 शिखर सम्मेलन (G-20 Summit) कोई साधारण बैठक नहीं है. भारत की अगुवाई में दुनिया के सबसे ताकतवर देशों के राजनीतिक मुखिया एक साथ बैठ कर एक ऐतिहासिक इबारत लिखेंगे. भारत ने इसके शानदार आयोजन के जरिए दुनिया को संदेश दे दिया है कि दुनिया भर की समस्याओं और सुधार को आगे बढ़ाने में वो सक्षम है. बात फिर चाहे बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDB) में सुधार की हो, या जी-20 में अफ्रीकी यूनियन को शामिल करने की हो या फिर क्लाइमेट चेंज पर फोकस की. प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अगुवाई में देश वैश्विक समस्याओं के प्रति सजग और प्रभावी समाधान का रवैया रखता है.

9 और 10 सितंबर को दिल्ली के प्रगति मैदान में होने वाले इस शिखर सम्मेलन की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. जी-20 की अगुवाई मिलने पर दूरदर्शिता के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत को G-20 की अध्यक्षता एक ऐसे समय पर मिल रही है, जब दुनिया में संकट और अफरातफरी का दौर है. दुनिया सदियों में एक बार आने वाली और उथल-पुथल भरे मिजाज वाली महामारी के नतीजों से जूझ रही है और इस समय संघर्षों के साथ-साथ आर्थिक अनिश्चितता का माहौल है. लेकिन इस चुनौती से भी पीएम मोदी ने पूरी सफलता के साथ मुकाबला किया. इसके साथ ही भारत दक्षिणी गोलार्ध में वैश्विक अगुवाई के लिए हर तरह से तैयार है. समझने की बात है कि G-20 में वह देश शामिल हैं, जो विश्व की आबादी का दो-तिहाई हैं. इसे कुछ यूं समझिये कि इन्हीं देशों के पास विश्व व्यापार की लगभग 75 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. केवल इतना ही नहीं बल्कि ग्लोबल GDP में भी इन देशों की 85 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. विश्व परिदृश्य में इसे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक प्रमुख मंच माना जाता है.

विकसित देशों की बराबरी का होगा आयोजन
इस सफल आयोजन के स्तर को विकसित देशों की बराबरी में ही रखा गया है. चाहे आने वाले अतिथियों के सत्कार और उनके ठहरने की व्यवस्था की बात हो या फिर उनके स्वास्थ्य की. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तीन दर्जन से ज्यादा शानदार फाइव स्टार होटलों की व्यवस्था की गई है. विदेश मंत्रालय ने लगातार ध्यान रखा कि इसमें किसी देश या किसी प्रतिनिधि मंडल को कोई दिक्कत न हो. साथ ही किसी प्रकार की परिस्थिति में जरूरत पड़ने पर प्रतिनिधियों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की भी विशेष तैयारी की गई है.

सिडनी ओपेरा हाउस से बड़ा है भारत मंडपम
जिस जगह पर बैठक होगी, वो लगभग 2,700 करोड़ रुपये से तैयार ऐसा ‘भारत मंडपम’ है, जो पूरी दुनिया को दिखाएगा कि बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर भारत के कदम कितने आगे बढ़ गए हैं. करीब 123 एकड़ में फैले परिसर क्षेत्र के साथ IECC कॉम्‍प्‍लेक्‍स को भारत के सबसे बड़े MICE गंतव्य के रूप में विकसित किया गया है. इसके अलावा भव्य मल्टीपरपज हॉल और प्लेनरी हॉल है, जिसकी संयुक्त क्षमता सात हजार लोगों की है. ये ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध सिडनी ओपेरा हाउस की बैठने की क्षमता से कहीं ज्यादा है.

जी-20 के एजेंडे में कमजोर देशों को मिली जगह
अब अगर इस सम्मेलन में भारत की अध्यक्षता की महत्ता को समझें तो पाएंगे कि अगर अनेक वैश्विक मुद्दों के बीच भी भारत विकासशील और अल्पविकसित देशों के हितों को जी-20 के एजेंडे में जगह दिलाने में कामयाब होता है, तो ये बड़ी कामयाबी होगी. इन मुद्दों में कार्बन उत्सर्जन को लेकर गरीब देशों को मिलने वाली आर्थिक मदद, क्लीन एनर्जी को लेकर अल्प विकसित देशों को तकनीकी और आर्थिक मदद, खाद्यान्न सुरक्षा और सप्लाई चेन का मसला काफी महत्वपूर्ण है. अध्यक्षता के दौरान भारत, इंडोनेशिया और ब्राज़ील ट्रोइका का गठन करेंगे. यह पहली बार होगा जब ट्रोइका में तीन विकासशील देश और उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल होंगी, जो उन्हें वैश्विक शक्तियों के मध्य बढ़त प्रदान करेंगी.

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पश्चिमी देशों और रूस दोनों के साथ बनाया संतुलन
भारत की वैश्विक कूटनीति में इस समय वह पश्चिमी देशों और रूस दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाकर चल रहा है. इस अवसर पर G20 मंच की अध्यक्षता उसके वैश्विक एजेंडा तय करने की दिशा में मजबूत कदम साबित होगी. भारत के पास बड़ी सोच के साथ बेहतर नतीजे देने की क्षमता है. जिस तरह भारत ने कोविड की लड़ाई में एक बड़े विश्व का प्रतिनिधित्व किया ठीक उसी तरह आज दुनिया के अधिकांश देश भारत से वैश्विक चुनौतियों से निपटने में पहल की आस लगाए बैठे हैं.

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Source : hindi.news18.com