
हममें से बहुत से लोग होते हैं, जिन्हें अपनी आंखों और बालों का रंग पसंद नहीं होता है. वे इसे बदलने के लिए बालों में तो टेम्परेरी कलर का इस्तेमाल करते हैं तो आंखों के लिए अलग-अलग रंग के कॉन्टैक्ट लेंस का यूज़ करते हैं. हालांकि ये सिर्फ कुछ दिन की ही बात होती है. अगर किसी को हमेशा के लिए अपनी आंखों का रंग बदलना हो अब तक उनके पास ऑप्शन नहीं था लेकिन अब है.
खुशखबरी ये है कि अब आप आइरिस इम्प्लांट या फिर कॉन्टैक्ट लेंस के बिना भी अपनी आंखों का रंग हमेशा के लिए बदल सकते हैं. इस प्रोसीजर का नाम keratopigmentation यानि केराटोपिगमेंटेशन कहते हैं, जिसे आम भाषा में कॉर्निया टैटूइंग भी कहा जाता है. एक वक्त में मेडिकल ट्रीटमेंट मानी जाने वाली ये चीज़ अब ब्यूटी ट्रेंड्स भी शुमार हो चुकी है.
कॉर्निया पर होता है कल टैटू
अब तक लोग आंखों का रंग बदलने के लिए आइरिस इम्प्लांट जैसे ट्रीटमेंट लेते थे, जो आंखों का रंग तो बदलते थे, लेकिन इसके साथ बड़ा हेल्थ रिस्क भी शामिल होता था. इसके बाद साल 2017 में एक लेज़र सर्जरी आई, जो आंखों का रंग बदल सकती थी. इसमें पुतलियों का रंग भूरे से नीला तक कराया जा सकता था, वो भी सिर्फ 20 सेकंड के अंदर. इससे भी कहीं ज्यादा सुरक्षित और आसान तरीका है केराटोपिगमेंटेशन, जिसमें एडवांस मशीनरी के ज़रिये परमानेंटली आंखों का रंग बदल दिया जाता है. इसमें लेज़र के ज़रिये आंखों में छोटी टनल सी बनाई जाती है और फिर इसमें पिगमेंटेशन डाला जाता है, जो आइरिस का रंग च्वाइस के मुताबिक बदल देता है. इसमें सिर्फ और सिर्फ आंखों के सरफेस पर प्रभाव डाला जाता है, जबकि बाकी हिस्सों में कोई असर नहीं होता.
30-45 मिनट में कुदरत को चैलेंज
इस पूरे प्रोसेस में कुल 30 से 45 मिनटा क वक्त लगता है और दोनों आंखों का रंग बदल जाता है. अच्छी बात ये है कि इसमें कोई दर्द भी नहीं होता है क्योंकि टॉपिकल एनेस्थीसिया देकर ही ये प्रॉसेस होता है. आप अगर अपनी आंखों के रंग से बोर हो जाएं, तो वापस पुराना रंग भी पा सकते हैं. इसके बारे में डॉक्टरों की भी राय है कि ये कम नुकसानदेह है और इसका तत्काल को भी दुष्प्रभाव नहीं होता. अगर इसे सही ढंग से किया जाए, तो बाद में भी इसमें कोई नुकसान नहीं होता.
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FIRST PUBLISHED : September 05, 2023, 09:11 IST