
हाइलाइट्स
आदित्य एल1 मिशन की परियोजना निदेशक निगार शाजी कक्षा 10 और 12 में जिला टॉपर थीं.
शाजी ने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की थी.
शाजी को स्कूल के बाद मेडिसिन में दाखिला मिला था, लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग में करियर चुना.
बेंगलुरु. इसरो की 59 साल की साइंटिस्ट निगार शाजी (Nigar Shaji) 2012 से सूर्य का अध्ययन करने के लिए इसरो (ISRO) के चल रहे आदित्य एल1 (Aditya L1) मिशन की परियोजना निदेशक हैं. शाजी 1987 से इसरो में हैं. 2008 से बन रही है आदित्य एल1 परियोजना एक छोटी परियोजना है. यह पिछले कुछ साल से निगार शाजी के नेतृत्व में चल रही है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक स्टोरी शेयर की, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि माता-पिता को बच्चों को क्या सिखाना चाहिए ताकि वे टीम में काम करना सीख सकें. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि ‘आप अपने बच्चे को एक बड़े घर में रहने दे सकते हैं, उसे घूमने-फिरने के लिए ड्राइवर और कार दे सकते हैं, वे अच्छा खाना खा सकते हैं, पियानो सीख सकते हैं, बड़ी स्क्रीन वाला टीवी देख सकते हैं, लेकिन जब आप घास काट रहे हों, तो कृपया उन्हें इसका अनुभव करने दें.’
निगार शाजी ने अपनी पोस्ट में कहा कि ‘भोजन करने के बाद बच्चों को अपने भाइयों और बहनों के साथ अपनी प्लेटें और कटोरियां धोने दें. उन्हें पब्लिक बस में यात्रा करने के लिए कहें. ऐसा इसलिए नहीं है कि आपके पास कार के लिए या नौकरानी रखने के लिए पैसे नहीं हैं, बल्कि इसलिए कि आप उन्हें सही तरीके से प्यार करना चाहते हैं.’ दो बच्चों की इस वैज्ञानिक मां ने लिखा कि ‘सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपका बच्चा कोशिशों की सराहना करना सीखता है, और कठिनाई का अनुभव करता है, और काम पूरा करने के लिए दूसरों के साथ काम करने की क्षमता सीखता है.’
साधारण परिवार से हैं निगार शाजी
तमिलनाडु में तेनकासी के सेनगोट्टई क्षेत्र से आने वाले शाजी साधारण परिवार से थीं. उनके पिता शेख मीरान एक कॉलेज ग्रेजुएट थे. शाजी मीरान और सईदु बीवी की तीसरी संतान हैं. तेनकासी में एसआरएम गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल की छात्रा शाजी कक्षा 10 और 12 में जिला टॉपर थी. वह तिरुनेलवेली में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के दूसरे बैच (1986) में कुछ छात्राओं में से एक थी, जहां उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की थी. बाद में उन्होंने बिट्स, पिलानी से मास्टर डिग्री हासिल की. उनके पिता ने 1940 के दशक में गणित में बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल की थी. उस समय पांचवीं और आठवीं कक्षा की पढ़ाई बहुत बड़ी थी.
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मेडिसिन में दाखिले के बावजूद साइंस में बनाया करियर
उनके पिता का पहला लक्ष्य अपने सभी बच्चों को शिक्षित करना था. हालांकि निगार शाजी को स्कूल के बाद मेडिसिन के लिए दाखिला मिल गया था, लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग और विज्ञान में अपना करियर चुना. जैसे ही उन्होंने इंजीनियरिंग पूरी की, उन्होंने अखबारों में इसरो में रिक्तियों के विज्ञापन देखे. उन्होंने इसके लिए आवेदन किया क्योंकि वे इंजीनियरों की तलाश कर रहे थे. उन दिनों इसरो साल में दो या तीन बार भर्ती करता था. लगभग 80 लोगों ने आवेदन किया और सीधे इंटरव्यू हुए और उनका चयन हो गया. काम करते हुए, उन्होंने मास्टर्स किया. यह एक इन-सर्विस एमटेक डिग्री थी. आदित्य एल1 मिशन की परियोजना निदेशक होने के अलावा शाजी वर्तमान में बेंगलुरु के यूआर राव अंतरिक्ष केंद्र में ‘स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर: लो अर्थ ऑर्बिट एंड प्लैनेटरी प्लेटफॉर्म’ की कार्यक्रम निदेशक भी हैं.
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Tags: Aditya L1, ISRO, Solar Mission, Solar system
FIRST PUBLISHED : September 05, 2023, 06:31 IST