Legal Explainer: हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध और FIR के 9 कानूनी पहलू – News18

गैर-कानूनी तरीके से Halal Certificate दिये जाने के खिलाफ भाजपा नेता की शिकायत पर लखनऊ में पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है. शिकायतकर्ता के अनुसार बगैर किसी कानूनी अधिकार के एक समुदाय विशेष को प्रभावित करने के लिए खान-पान, औषधि और सौंदर्य प्रसाधन के उत्पादों का हलाल प्रमाणन किया जा रहा है. इसमें टूथपेस्ट, टूथब्रश, साबुन, बिस्कुट, चाय पत्ती, डेयरी, चीनी, बेकरी, तेल, नमकीन, पिपरमेंट और परफ्यूम जैसे कई उत्पाद शामिल हैं. FIR के बाद बाजार में फूड इंस्पेक्टरों की जांच के साथ Online व्यापार रोकने के लिए साइबर क्राइमसेल भी सक्रिय हो गया है. इससे जुड़े 9 कानूनी पहलुओं को समझना जरूरी है-

1.एफआईआर में IPC की धाराएं-

हलाल सर्टिफिकेशन देने और उन सामानों को बेचने वाली कंपनियों और व्यापारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा-120बी, 153ए, 298, 384, 420, 467, 468, 471 और धारा-505 के तहत FIR दर्ज की गई है. कंपनियों के अलावा राष्ट्र विरोधी षडयंत्र करने वाले और अधिसूचित आतंकवादी संगठनों के खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ है. आईपीसी की ये धाराएं, साजिश, सद्भाव बिगाड़ने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, धोखाधड़ी, जबरदस्ती वसूली और कूट रचना के अपराध से संबंधित हैं. इनमें से कई अपराध गैर-जमानती हैं.

2. औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940-

देश के भीतर खाद्य पदार्थ बेचने के लिए हलाल की लेबलिंग का भारत में कोई कानून नहीं है. उसके अनुसार लेबल पर गलत व भ्रामक तथ्य देना मिथ्याछाप के अपराध में आता है. इसके लिए औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की धारा-17 और 17-सी के अंतर्गत प्रावधान किये गये हैं. गलत लेबलिंग वाली सामग्री का निर्माण, भंडारण और बिक्री इस अधिनियम की धारा-18 और 27 के तहत प्रतिबंधित और दंडनीय अपराध है. ऐसी गलत बिक्री करने वाले व्यापारिक संस्थानों का लाइसेंस निरस्त हो सकता है. गलत लेबलिंग के लिए नकली पदार्थ बेचने का अपराध साबित हुआ तो आजीवन कारावास के साथ 10 लाख तक का जुर्माना भी लग सकता है.

3. इस्लामिक जगत में हलाल सर्टिफिकेट की जरूरत-

हलाल एक अरबी शब्द है. हलाल सर्टिफाइड का मतलब है कि खाद्य पदार्थ का निर्माण इस्लामी कानून के मुताबिक किया गया है. हलाल सर्टिफिकेट से इस्लामिक देशों में लोगों को यह भरोसा हो जाता है कि खाद्य पदार्थ उनकी संस्कृति और मान्यताओं के मुताबिक है. भारत में इसका इस्तेमाल करने वालों का दावा है कि यह आयात-निर्यात के साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है. इस्लामिक देशों से आने वाले टूरिस्ट हलाल सर्टिफिकेट के अनुसार ही खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं.

4. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI)-

भारत में FSSAI खाद्य पदार्थों के प्रमाणन और व्यापारियों के लिए लाइसेंस जारी करता है. इस कानून के तहत हलाल के प्रमाण-पत्र देने के लिए कोई नियम नहीं हैं. शिकायतकर्ता के अनुसार धार्मिक संगठन मनमाने तरीके से हलाल प्रमाण-पत्र जारी कर रहे हैं. इस समानान्तर प्रक्रिया से कानून के उल्लंघन के साथ अवैध और आतंकियों गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है. इसलिए पुलिस ने इन कंपनियों से उत्पादों के लैब परीक्षण का ब्यौरा मांगा है.

5. Export के लिए हलाल सर्टिफिकेट की जरूरत-

भारत में खाद्य पदार्थों के कारोबार के लिए हलाल सर्टिफिकेट की कोई जरूरत नहीं है. मीट और मासांहारी पदार्थों के अलावा कॉस्मेटिक, दवा और शाकाहारी खाद्य पदार्थों के एक्सपोर्ट के लिए भी हलाल सर्टिफिकेट की जरूरत होती है. इसलिए Meat के साथ शाकाहारी खाद्य प्रोडक्ट्स के लिए हलाल सर्टिफिकेट जारी करने का चलन बढ़ गया है. लेकिन भारत में कानूनी जरूरत नहीं होने के बावजूद शाकाहारी खाद्य प्रोडक्ट्स को हलाल सर्टिफिकेट जारी करने के खिलाफ आपराधिक मंशा की पुलिस जांच कर रही है.

6. हलाल सर्टिफिकेट देने वाली कंपनियां-

अनेक इस्लामी देशों में खाद्य पदार्थों के आयात के लिए हलाल सर्टिफिकेट आवश्यक है. भारत में FSSAI की केंद्रीय संस्था खाद्य पदार्थों के लिए सर्टिफिकेट देती है, लेकिन वह हलाल सर्टिफिकेट नहीं देती है. इसलिए एक्सपोर्ट की जरूरत के अनुसार हलाल इंडिया, जमीयत उलेमा-हिंद हलाल, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया जैसी एक दर्जन कंपनियां और ट्रस्ट हलाल सर्टिफिकेट का कारोबार करती हैं. उनके सर्टिफिकेट के आधार पर इस्लामिक देशों में भारत से खाद्य पदार्थों का निर्यात होता है. लेकिन उन संस्थाओं और उनके द्वारा जारी सर्टिफिकेट के नियमन लिए भारत में रेगुलेटर और नियमों का अभाव है.

7. वाणिज्य मंत्रालय और DGFT के नियम-

भारत से सालाना 26 हजार करोड़ रुपये के Meat पदार्थों का निर्यात होता है. हर देश अपनी जरूरत के अनुसार आयात और निर्यात के नियम बनाते हैं. इसलिए भारत के एक्सपोर्टरों को इस्लामिक देशों के आयात के नियम का पालन करना जरूरी है, जिसके तहत खाद्य पदार्थों के एक्सपोर्ट के लिए हलाल सर्टिफिकेट का होना जरूरी है. मीट प्रोडक्ट के लिए वाणिज्य मंत्रालय के तहत डीजीएफटी ने जनवरी 2023 में हलाल सर्टिफिकेट के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी किया था, जिन्हें अप्रैल 2023 में नोटिफाई किया गया. उसके बाद इनके क्रियान्वयन की समय सीमा को बढाकर अप्रैल 2024 कर दिया गया है.

8. हलाल सर्टिफिकेट का भारत में नियमन-

वाणिज्य मंत्रालय और डीजीएफटी की गाइडलाइंस के अनुसार हलाल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड का सर्टिफिकेशन और क्वालिटी कंट्रोल ऑफ़ इंडिया की भूमिका निर्धारित है. इनके द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार मीट प्रोडक्ट्स के लिए हलाल सर्टिफिकेट जारी किया जा सकता है. एग्रीकल्चरल एंड प्रोसैस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (Apeda) को इसकी मॉनिटरिंग के लिए एजेंसी नियुक्त किया गया.

9. उत्तर प्रदेश में प्रतिबंध-

एफआईआर के बाद उत्तर प्रदेश की अपर मुख्य सचिव एवं खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन व आयुक्त ने हलाल सर्टिफिकेट पर रोक लगाए जाने की अधिसूचना जारी कर दी. उसके बाद अब कोई भी व्यक्ति के हलाल प्रमाणन युक्त खानपान की वस्तुओं, दवाओं और प्रसाधन सामग्री का निर्माण, भंडारण और वितरण नहीं कर सकता. नोटिफिकेशन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सरकार द्वारा विधिक कार्रवाई होगी. यूपी सरकार के अनुसार खानपान की वस्तुओं, दवाओं और प्रसाधन सामग्री के निर्यात पर किसी भी तरह की रोक नहीं लगाई गई है. इस मामले से जुड़ी कई कंपनियां और संगठन उत्तर प्रदेश के बाहर हैं. केंद्र सरकार ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं किया है, इसलिए यूपी सरकार की कारवाई से विदेशों में हो रहे एक्सपोर्ट में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा.

ब्लॉगर के बारे में

विराग गुप्ताएडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट

लेखक सुप्रीम कोर्ट के वकील और संविधान तथा साइबर कानून के जानकार हैं. राष्ट्रीय समाचार पत्र और पत्रिकाओं में नियमित लेखन के साथ टीवी डिबेट्स का भी नियमित हिस्सा रहते हैं. कानून, साहित्य, इतिहास और बच्चों से संबंधित इनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं. पिछले 7 वर्ष से लगातार विधि लेखन हेतु सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा संविधान दिवस पर सम्मानित हो चुके हैं. ट्विटर- @viraggupta.

और भी पढ़ें

Source : hindi.news18.com